Kya Mujhe Pyar Hai
वो वो वो वो वो वो वो वो वो
वो वो वो वो वो वो वो वो वो
क्यों आजकल नींद कम ख्वाब ज़्यादा हैं
लगता खुदा का कोई नेक इरादा हैं
कल था फ़क़ीर आज दिल शेह्ज़ादा हैं
लगता खुदा का कोई नेक इरादा हैं
क्या मुझे प्यार हैं आह
कैसा खुमार हैं आह
क्या मुझे प्यार हैं आह
कैसा खुमार हैं आह
वो वो वो वो वो वो वो वो वो
वो वो वो वो वो वो वो वो वो
पत्थर के इन रास्तों पे फूलों की एक चादर हैं
जबसे मिलें हो हमको बदला हर एक मंज़र हैं
देखो जहां में नीले नीले आसमान तले
रंग नए नए हैं जैसे घुलते हुए
सोये से ख्वाब मेरे जागे तेरे वास्ते
तेरे ख्यालों से हैं भीगे मेरे रास्ते
क्या मुझे प्यार हैं आह
कैसा खुमार हैं आह
क्या मुझे प्यार हैं आह
कैसा खुमार हैं आह
वो वो वो वो वो वो वो वो वो
वो वो वो वो वो वो वो वो वो
तुम क्यों चले आते हो हर रोज़ इन ख्वाबों में
चुपके से आ भी जाओ एक दिन मेरी बाहों में
तेरे ही सपने अंधेरों में उजालों में
कोई नशा हैं तेरी आँखों के प्यालों में
तू मेरे ख़्वाबों में जवाबों में सवालों में
हर दिन चुरा तुम्हें में लाता हूँ ख्यालों में
क्या मुझे प्यार हैं आह
कैसा खुमार हैं आह
क्या मुझे प्यार हैं आह
कैसा खुमार हैं आह
वो वो वो वो वो वो वो वो वो
वो वो वो वो वो वो वो वो वो
वो वो वो वो वो वो वो वो वो
वो वो वो वो वो वो वो वो वो
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